मैं हूँ एक आम आदमी |
सब मेरी बात करते हैं |
मेरी फ़िक्र में वे चर्चाएँ आम करते हैं |
कोई फाइलों के कागज़ पे मेरी कहानी लिखता है,
तो कोई मुझे टोपी पे डाल पहनता है |
आम आदमी की बात हर ख़ास आदमी करता है|
हाँ मैं वही एक आम आदमी हूँ,
जिसकी सब बात करते हैं !!!
मेरी रोज की जिन्दगी ही मेरी लड़ाई है,
और वो सब मेरे लिए लड़ते हैं!
जब कुछ नहीं बदला सालों में,
क्या कोई बदल देगा कैमरें के सवालों से?
एक अथाह जिन्दगी, गुमनाम चादर डाले जीता हूँ |
हाँ मैं जीता हूँ !
मैं वही एक आम आदमी हूँ,
जिसकी सब बात करते हैं !!!
'आम आदमी' मेरा नाम नहीं,
मेरी कोई पहचान नहीं !
फिर क्यूँ आज सब मेरे जीवन पर नजरें डाल रहें ?
नहीं चाहिए मुझे चमक कैमरे की, और ना ही सभा की ताली |
है बस जिन्दगी एक आश्रा, मुझको जीने दो,
हूँ एक आम आदमी, ना बनाओ मुझे गाली !!!
2 comments:
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