Thursday, February 18, 2010

फिर 'बदल गया है तू' लोग ऐसा क्यूँ कहते हैं?

आज भी यादें आती हैं,
हवा पुरानी बातों को दोहराती है!
बारिश सावन में ही होती है,
और तारें तन्हाई में साथ जगते हैं!
आखों में सपने तैरते हैं,
और दिल में उम्मीद घर बना बैठते हैं!
सब वही है, सबकुछ वहीं है,
फिर 'बदल गया है तू' लोग ऐसा क्यूँ कहते हैं?

मस्तिष्क अभी भी डर का कोहरा लगाता है,
और शारीर अपनी बंदिशों में जकर लाता है!
सही गलत का पलरा, गलत को बढ़ा दिखाता है,
और पंडित हाथों की रेखाओं से भविष्य बताता है!
सब वही है, सबकुछ वहीं है,
फिर 'बदल गया है तू' लोग ऐसा क्यूँ कहते हैं?

**** Mistakes in hindi writing could be attributed to my limited knowledge of google transliterate tool. I am aware of the mistakes but could not correct it. It is not intentional.

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