ऐसी होगी हमारी मुलाक़ात
ऐसी होगी हमारी मुलाक़ात
जब चाँद बिखरेगा चाँदनी,
होगी निशा बावली,
फूलो से खिलेंगे सपने,
और होगी बरसात!
मिलेंगे ख़ुद से हम तुम,
ऐसी होगी हमारी मुलाक़ात!
हवा रोक रफ़्तार,
जब साथ लाइएगी महक सावली!
मिलेंगे रूह जब अपने अंजाम से,
और आखों से होगी बात!
मिलेंगे ख़ुद से हम तुम,
ऐसी होगी हमारी मुलाक़ात!
खामोशी छाएगी फिजा में,
और आसमा में होंगे तारे बेशुमार!
जब रुक जाएंगे काटें घड़ी के,
और ना बीतेगी रात!
मिलेंगे ख़ुद से हम तुम,
ऐसी होगी हमारी मुलाक़ात!
- मुकुल प्रियदर्शी
2 comments:
Awesummmmmm!!!!!
Ek dum mast....and kitna romantic hai....woooo!!
kya poem hai yaar!!!
hats off to u!!
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