धरतीपुत्र की लल्कार लगाओ,
जलते देश की आग भरकाओ!
टूटे देश को जोड़ा था लौपुरुष ने,
तोड़ उसे फिर एक बार, ख़ुद की नज़र से नज़र तो मिलाओ!
कश्मीर की कहानी सुनी,
असम की है अपनी परेशानी!
तमिल श्रीलंका रोते हैं,
हम पंजाब को भी कभी खोते हैं!
भुत छोर वर्तमान में आओ,
उत्तर प्रदेश बिहार से घबराओ!
बंगाल में ना कोई काड़खाना लगाओ,
महाराष्ट्र में घुसने की ना हिम्मत जुटाओ!
यह है भारत सपनो का,
इतिहास और आज से हारे,
भविष्य को खड़ा खड़ा निहाड़े!
छोड़ दो उम्मीद, तोड़ दो सपने,
गैर बन बैठे हैं अपने!
बांधो मुट्ठी, हाथ फैलाओ,
धरतीपुत्र की लल्कार लगाओ,
जलते देश की आग भरकाओ!!!
- मुकुल प्रियदर्शी
Dedicated to all the short sighted politicians who are on the verge of dividing India for their vote bank politics and media hyped personality.
1 comment:
kya baat hia
ajkal bahut time hai lagta hai tumhe
khub likh rhe ho apne blog mein :D:D
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